Monday, September 26, 2011

मौसम..


कुछ मौसम फीके से
अपने ही सरीखे से
तेरी मिठास भर गए
फिर तेरी आस भर गए!
वो ख़त तेरी तस्वीर से
अल्फाज़ जैसे तीर से
यूँ मुझ में बिखर गए
कि तेरी आस भर गए!!
फिर उस खामोशी के
पहलू में रह के
देखा जो मैंने
लफ्ज़ लफ्ज़ बह के
एहसास इस तरह
फिर तुझसे तर गए
कि तेरी आस भर गए!!
उलझता गया मैं जो
चाँद की पतंग में
मुझ से मैं ही छूटा
उलझा तेरे संग में
कुछ यादों के हिस्से
फिर भी बंजर गए
यूँ तेरी आस भर गए!!