Thursday, September 8, 2016

ऐ दिल है मुश्किल !!


अपनी ख़ामोशी से
आकर,मेरी ख़ामोशी सिल
कहते नहीं बनता अब
ऐ दिल है मुश्किल !!
कोई आह रख दे अब
चुप्पी के कोने में
कतरे न हंस दे यूँ
इस दिल के रोने में
कैसे कहूं ये तुमसे
गम हो गया है बुज़दिल
कहते नहीं बनता अब
ऐ दिल है मुश्किल !!
चुभते हो तुम क्यूँ आखिर
दिल में एक टीस बनकर
रह जाओ न बरबस ही
अधूरी सी ख्वाहिश बनकर
मेरे इश्क़ का भी हो फिर
तुम सा ही कोई मुस्तकबिल
कहते नहीं बनता अब
ऐ दिल है मुश्किल !!
एक चाँद में रखूँ
एक चाँद तुम रखो
इस रात के लिफ़ाफ़े का
कोई नाम तुम रखो
हो जाये लफ्ज़ लफ्ज़ हम
एक दूसरे के काबिल
कहते नहीं बनता अब
ऐ दिल है मुश्किल !!