Saturday, November 18, 2017

पानी है।।



यूं मेरी कहानी भी
एक चुप सी कहानी है
कुछ लफ्ज हैं डूबे से
कुछ नज्मों में पानी हैं।।
वो दर्द भी है गीला
आहों से जो सना हैं
वहां और किसी गम का
आना-जाना मना है
रहती हैं वहां अब भी
कुछ यादें पुरानी हैं।।
कुछ लफ्ज़ हैं डूबे से
कुछ नज्मों में पानी हैं....
वो जो टूटता है मुझ में
है तो मेरा ही होना
रखती हूं जोडकर फिर भी
तुम्हारा भी एक कोना
करती हैं तन्हाई अक्सर
जाने क्यों मनमानी है।।
कुछ लफ्ज़ हैं डूबे से
कुछ नज्मों में पानी है.....